1 Month Baby ka Weight Kaise Badhaye|10 तरीके से अपने शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं?

अगर आपको लग रहा है कि नवजात शिशु का वजन कम है, तो इस समस्या का निवारण करने के लिए 1 month baby ka weight kaise badhaye नवजात शिशु को मेडिसिन के अलावा घरेलु उपाय कर सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि स्तनपान करने वाले शिशु का वजन कभी-कभी जन्म बाद 5% से 7% तक घट जाता है, इससे आप घबराने लगती हैं। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। करीब दो सप्ताह बाद बेबी का वजन बढ़ जाता है। मां हमेशा ये सोचती रहतीं हैं कि हम ऐसा क्या करें, कि हमारे बेबी का वजन दूसरे बच्चों की तरह हेल्दी हो जायें। यह देखा गया है कि हर किसी को गोल-मटोल बेबी ज्यादा पसंद होते हैं।

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आप एक बात का ख्याल हमेशा रखें कि आपका बच्चा चुस्त, तंदुरुस्त और सक्रिय है या नहीं। अगर आपका बेबी चुस्त और सक्रिय है तो बिलकुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। और अगर ऐसा नहीं है तभी आपको चिंता करने की जरूरत है। ऐसे में आपको अपने बच्चे के खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आज इस लेख में हम आपको बच्चे के सही वजन और उसके सही विकास संबंधी कई जानकारियां देंगे, जिनकी सहायता से आप अपने बेबी के वजन बढ़ाने सम्बन्धी समस्त तथ्यों को समझ पाएंगी।

1 month baby ka weight kaise badhaye

न्यू बॉर्न बेबी का वेट कितना होना चाहिए?

नवजात शिशु के वजन की बात किया जाये तो इसके लिये अलग-अलग सीमाएं हैं। सामान्यतः नवजात शिशु का वजन उनके डिलेवरी के आधार पर स्वतंत्र रूप से विविध हो सकता है। हालांकि, नवजात शिशु का वजन डिलेवरी के समय 2.5 किलो से 3.5 किलो के बीच होता है। और विस्तार से इसे हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं।
बेबी का वजन बढ़ने के कई पहलु हो सकते हैं, जैसे लालन-पालन एवं मौसम का भी ग्रोथ पर असर पड़ता है। वैसे तो पहले तीन महीने में सामान्यतः बच्चे का वजन हर सप्ताह लगभग 150 से 200 ग्राम तक बढ़ सकता है। इसके बाद अगले तीन सप्ताह में बच्चे के वजन में 100 से 150 ग्राम प्रति सप्ताह थोड़ी धीमी बढ़ोतरी देखी जाती है। फिर अगले 6 महीनों में बच्चे के वजन में करीब 0.75 से 100 ग्राम प्रति सप्ताह की दर से बढ़ोतरी हो सकती है।
बेबी का वजन एक साल का पूरा होते-होते लगभग ढाई से तीन गुना हो जाता है। और इसी तरह दो साल पूरा होते-होते बच्चे का वजन जन्म के वजन की तुलना में चार गुना तक हो जाता है।
अगर बच्चे का वजन निरंतर अच्छी ग्रोथ से चल रहा है तो छह साल की उम्र पूरी होने तक बच्चे का वजन हर साल लगभग दो किलो तक बढ़ जाता है।

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नवजात शिशु का वजन कैसे बढ़ायें – 1 Month Baby ka Weight Kaise Badhaye

अगर आपके नवजात बच्चे का वजन कम है, तो आपको बता दें कि इसके लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम होता है। नवजात शिशु के वजन बढ़ाने के लिये स्तनपान ही सबसे बेहतर विकल्प है, क्योंकि डॉक्टरों के मुताबिक मां का दूध नवजात शिशु के लिये सबसे पौस्टिक एवं संतुलित आहार है। मां का दूध बच्चे बहुत आसानी से पचा लेते हैं, जिससे उनके पेट में कब्ज, दस्त, उल्टी जैसी शिकायत बहुत कम रहती है।
आप अपने बच्चे को उसकी जरूरत के हिसाब से स्तनपान लगभग हर दो-दो घंटे में करायें। हमेशा कोशिस करें नवजात को दोनों स्तनों का स्तनपान करायें। और साथ ही साथ यह भी ख्याल रखें बच्चे का पेट हमेशा भरा रहे।

इसके अलावा अगर आपका बच्चा प्रीमेच्योर (समय से पहले) पैदा हुआ है, तो वह मां का दूध बहुत आसानी से नहीं पी पाते हैं। तो इससे आपको घबराने की जरूरत नहीं है इसके लिये आप ब्रेस्ट पम्पिंग (स्तन से दूध निकालने की मशीन) के द्वारा आप अपना दूध निकाल कर अपने नवजात को पिला सकती हैं। और अगर आपके स्तनों में दूध नहीं निकल रहा है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह से फॉर्मूला मिल्क भी पिला सकती हैं।

नवजात शिशु के मल त्याग (लैट्रिन) पर भी विशेष ध्यान देना होगा। क्योकि अगर नवजात दिन में 5 से 6 बार मल त्याग कर रहा है, तो इसका मतलब आपके बच्चे का स्वस्थ ठीक है और उसको आवश्यक पोषण मिल रहा है।

6 से 12 महीने के बच्चों का वजन कैसे बढ़ाये –

आपके बच्चे को जन्म के छः माह बाद स्तनपान के अलावा कई जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इसके लिए आप बच्चों को अनाज, दाल, फल एवं सब्जियां इत्यादि खिला सकतीं हैं। आपका बच्चा जब 9 माह का हो जाये तो फिर उसे नरम और मुलायम आहार सीधे तौर पर दे सकती हैं। क्योंकि तब वह खाने की तरफ आकर्षित होता है और ऐसा करने से वह खुद से खाना भी सीख लेता है। अगर आप अपने बच्चे के वजन को लेकर चिंतित हैं, तो आपको हम 10 तरीके के खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जिसे आप बच्चों के आहार में शामिल करके उनका वजन बढ़ा सकती हैं।

1- प्रोटीन युक्त अण्डा –

बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिये अंडा फायदेमंद होता है। अंडे में विटामिन, प्रोटीन, फोलिक एसिड और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो बच्चो के विकास के लिये बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा अंडे में साल्मोनेला नामक वैक्टीरिया पाया जाता है, इसलिये बच्चों को कच्चा या अधपका अंडा न खिलायें क्योंकि इससे आपके बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। बच्चों को पहली बार अंडा देने के बाद आप इसके पड़ने वाले प्रभाव को भी अच्छे से समझ कर ही खिलायें। और अगर आपको एलर्जी जैसा कुछ दिखाई दे तो डाक्टर की सलाह अवश्य लें।

2- सेहत बनाये रागी –

बच्चों का वजन बढ़ाने के लिये रागी बहुत ही महत्वपूर्ण आहार है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B1, B2 एवं अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास के लिये बहुत जरूरी है। रागी बच्चों को बहुत आसानी पच जाती है। रागी को आप बच्चों को दो तरीके से खिला सकते हैं इसकी खिचड़ी बना कर या फिर इसका हलवा बनाकर जोकि बच्चे बहुत ही चाव से खाते हैं।

3- आयरन से भरपूर है केला –

केला नर्म और सुपाच्य होने के कारण जन्म के 6 महीने के बाद आप अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकती हैं। केला आयरन से भरपूर होता है, जो हेमोग्लोबिन को बढ़ाता है जिससे बच्चों में खून की कमी नहीं होने पाती है। केला एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट और फैट का अच्छा स्रोत होता है। ये शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और आसानी से पच भी जाता है। केला मार्केट में बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसलिए अगर आप सफर में जा रहे हैं तो आपके बच्चे के लिये बहुत अच्छा आहार साबित हो सकता है।

4. आलू दे कॉर्बोहाइड्रेट –

आलू बच्चों में ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। आलू में फोलेट, कैल्शियम, कॉर्बोहाइड्रेट, आयरन, फास्फोरस और पोटैशियम के साथ इसमें विटामिन बी-6, सी, राइबोफ्लेविन, थियामिन, नियासिन मौजूद होते हैं, इस वजह से दूध के अलावा शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं। शिशुओं को आलू का सेवन 6 माह के बाद ही कराना चाहिए। आलू को उबालकर अन्य सब्जियों व फलों के साथ इसे दिया जा सकता है। 9 महीने से ऊपर शिशु को भुना हुआ या ग्रिल किया हुआ आलू दिया जा सकता है। ऐसे में वह केवल मां के दूध पर निर्भर नहीं रहेगा। इसके अलावा आलू में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शिशु को बीमारियों से दूर रखते हैं एवं शिशु की त्वचा को सुरक्षित रहे उसके लिए भी आलू बहुत लाभदायक है।

5. दालों में है पोषण का राज –

दाल में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, आहार फाइबर, फोलेट, तांबा, जस्ता और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं। प्रोटीन बच्चों की मांसपेशियों को मजबूत करता है जबकि विटामिन एवं मिनरल विकास में सहयोगी होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है जो बच्चों को खतरनाक इन्फेक्शन से बचा सकती है। दाल जिंक का भी एक अच्छा स्रोत है, जो बच्चे की इम्युनिटी में सुधार करती है। दाल में कैलोरी अधिक होने के कारण यह बच्चे का वजन बढ़ाने में अत्यधिक सहायक है। आप बच्चों को दाल की खिचड़ी, दाल का सूप (soup) या दाल का हलवा बना के दे सकती हैं।

6. ओट्स बनाये मजबूत –

छह महीने के बाद शिशुओं को ठोस आहार शुरू किया जा सकता है। आप अपने बच्चे को ओट्स एक ऐसा अनाज है जो आपके बच्चे के पाचन तंत्र के लिए आसान होने के साथ भूख को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। हड्डियों के विकास में मददगार ओट्स में कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक हैं। कैल्शियम बच्चों की हड्डियां मजबूत करने में सहायक है एवं आयरन से हीमोग्लोबिन बढ़ता है जो एनीमिया से निपटने में मदद करता है। आप अपने बच्चे को ओट्स आहार में कई तरह से शामिल कर सकती हैं। आप अपने बच्चे को ओट्स का डोसा, खीर, खिचड़ी, कुकी (cookies) या दूध में मिला के भी खिला सकती हैं।

7. दही में है शुद्ध पोषण –

6 महीने या इससे अधिक उम्र के बच्चों को दही खिलाना लाभदायक होता है, क्योंकि दही एक बेहतरीन फैट बर्नर है इसमें अधिक मात्रा में कैल्सियम पाया जाता है। दही छोटे बच्चों के लिये ज्यादा उम्र वालों की तुलना में अधिक पौष्टिक एवं फायदेमंद होती है। दही में प्रोबायोटिक्स पाया जाता है जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है। दही में मौजूद प्रोटीन, कैल्सियम, विटामिन बी-2, बी-12,मैग्नीशियम और पोटेशियम से शिशु की हड्डियों को स्वस्थ विकास एवं मजबूती मिलती है। माता-पिता यह सोचकर अपने बच्चों को दही नहीं खिलाते हैं कि इससे सर्दी-खाँसी हो सकती है जबकि वास्तव में दही संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढाती है।

8. शक्करकंद है कैल्सियमयुक्त –

आप 6 महीने की उम्र के बच्चों के आहार में शकरकंद शामिल कर सकते हैं। शकरकंद में पाया जाने वाला बीटा-केराटिन शरीर में विटामिन-A बढ़ाता है जिससे बच्चों की आँखें स्वस्थ रहती हैं। इसके अलावा शकरकंद में आयरन, फोलेट, कॉपर, मैग्नीशियम आदि बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ इससे त्वचा में चमक एवं चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं। शकरकंद खिलाने के लिये इसे पूरी तरह से पका लें एवं नरम कर लें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार शकरकंद को लंच टाइम में ही खिलाना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद कैल्सियम को शरीर में एब्जॉर्ब होने में धूप के साथ-साथ 4 से 5 घण्टे का समय लगता है।

9. सूखे मेवे हैं वसायुक्त –

बच्चों के वजन बढ़ाने के लिए सूखे मेवे (Dry fruit) बादाम, अखरोट, काजू, खजूर, सूखे खुबानी और अंजीर आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। सूखे मेवे प्राकृतिक होते हैं इसलिए बच्चों के आहार में जरूर शामिल करें। ये अच्छा स्वास्थ देने के साथ-साथ फिट भी रखते हैं। सूखे मेवे को पैदा होने के लगभग 6 महीने के बाद ही आहार में शामिल करना चाहिये। बच्चे को सूखे मेवे खिलाने के लिए स्नैक, पेस्ट या पाउडर के रूप में दिया जा सकता है।

10. फलों का जूस है जरूरी –

वजन बढ़ाने के लिये बच्चे जब 6 महीने का हो जाये तो उन्हें माँ के दूध के साथ ताजा फलों के जूस उनके आहार में शामिल कर सकते हैं। आप सेब, अंगूर, खरबूजा, गाजर, संतरा, टमाटर, आम, बैरी, लीची, अनार, चुकंदर आदि का जूस बच्चों को दे सकते हैं। इसमें बहुत ही उपयोगी विटामिन एवं पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं जो बच्चों की इम्युनिटी और कैलोरी दोनों को बढ़ाते हैं।

बच्चे का वजन कम होने के कुछ कारण –

बच्चों का धीमी गति से वजन बढ़ना या आयु के सापेक्ष वजन का कम होना यह एक गंभीर समस्या है। इसके लिये आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है, हम आपको कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण कारणों को बिंदुवार बताएँगे जिसे आप समझ कर इस प्रकार की समस्या से निपट सकते हैं एवं समय रहते ही डाक्टर से परामर्श भी कर सकते हैं।

  • मां पर्याप्त दूध बना रही है या नहीं, बच्चे को स्तन से पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है या नहीं, इस वजह से बच्चों का वजन कम हो सकता है।
  • बच्चों के पेट में कीड़े (केचुआ) होने की वजह से बच्चों का पाचन तंत्र बिगड़ जाता है, जिससे बच्चों को भूख नहीं लगती है। यह भी वजन कम होने का कारण हो सकता है।
  • अगर बच्चे बहुत ज्यादा मां का दूध पीने के बाद उल्टी कर रहें हों तो यह भी डाइजेस्टिव विकार है यह भी वजन कम होने की वजह हो सकते हैं।
  • बच्चों का वजन कम होने का एक सबसे बड़ा कारण हॉर्मोनल विकार भी हो सकता है।
  • बच्चों के बार-बार बीमार होने से उनमे एनीमिया (खून की कमी ) हो जाती है, यह भी वजन कम होने का कारण हो सकता है।

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FAQ-


1 महीने के शिशु का वजन कैसे बढ़ाए?

एक महीने के शिशु का सही वजन उसके जन्म के बाद कई कारणों पर निर्भर करता है, जैसे कि जन्म का वजन, मातृशिशु स्वास्थ्य, और पोषण का स्तर जैसे-
माँ का सही पोषण, सही दुग्धपान, पर्याप्त समय दें, सफाई का ध्यान रखें इसके अलावा संतुलित और धातुपूर्ण आहार महत्वपूर्ण है।

1 महीने का बच्चे का वेट कितना होना चाहिए?

एक महीने के शिशु का वजन उसके जन्म के समय के वजन पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यत: एक महीने के नवजात शिशु का वजन जन्म के समय के वजन के तुलना में तीन से चार किलोग्राम (6.6 से 9 पाउंड) के आस-पास होता है।


मैं अपने 1 महीने के बच्चे को तेजी से वजन कैसे बढ़ा सकता हूं?

एक महीने के शिशु का सही विकास और वजन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं-
1.दूधपान का सही तरीका इस्तेमाल करें।
2.पर्याप्त समय दें।
3.आदेश का सही समय पर पालन करें।
4.डॉक्टर की सलाह लें।
5.बच्चे की स्वास्थ्य निगरानी करें।
6.सही आहार दें।
ध्यान दें कि हर बच्चा अलग होता है, और उनका विकास भी अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, बेहतर है कि आप अपने बच्चे के विकास को धीरे-धीरे और प्राकृतिक रूप से होने दें।

क्या बच्चे की मालिश करने से वजन बढ़ता है?

मालिश से बच्चे के मांसपेशियों को बढ़ावा मिलता है, जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनकी सुस्ती दूर होती है। इसके अलावा, मालिश से बच्चा आराम महसूस करता है और इसका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। बच्चों का सही वजन और स्वस्थ विकास उनके पोषण, आहार, और देखभाल पर निर्भर करता है।

बच्चे का वजन नहीं बढ़ता तो क्या करें?

अगर बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो इसे स्वस्थ और सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिए आप छोटे बच्चों को छोटे-छोटे अंशों में बार-बार दूधपान कराएं, ताकि वे पर्याप्त कलोरी और पोषण प्राप्त कर सकें। यदि कोई दुग्धपान समस्या है, तो डॉक्टर से सहायता लें।

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